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Insurgency: देश के इस क्षेत्र में 80% उग्रवाद का सफाया, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

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भारत सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट (2020-21) में पूर्वोत्तर में उग्रवाद और नागरिकों की मौत को लेकर कई महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े जारी किए हैं. इस वार्षिक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि पिछले आठ सालों में पूर्वोत्तर के राज्यों (North East States) में उग्रवाद की घटनाओं में 80 फीसदी तक की कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 के बाद से पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा के हालात को लेकर भी काफी सुधार हुआ है.

उग्रवाद की घटनाओं में 80 फीसदी तक की कमी
साल 2020 में पिछले दो दशकों के दौरान उग्रवाद, नागरिकों व सुरक्षाबलों के जवानों के हताहत होने की घटनाओं में सबसे कम मामले सामने आए हैं. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि साल 2014 की तुलना में साल 2020 में उग्रवाद की घटनाओं में 80 फीसदी तक की कमी आई है. इस दौरान सुरक्षा बल के जवानों के हताहत होने वाली घटनाओं में 75 फीसदी और उन राज्यों के नागरिकों की मौत के मामलों में 99 फीसदी तक की कमी आई है.

2020 में उग्रवाद
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में 2019 की तुलना में उग्रवाद की घटनाओं में करीब 27 फीसदी की गिरावट देखी गई है. 2019 में ऐसी 223 घटनाएं और 2020 में ऐसी 162 घटनाएं सामने आई थीं. इसी प्रकार नागरिक और सुरक्षाकर्मियों के हताहत होने वाली घटनाओं में लगभग 72 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. 2019 में इस तरह की 25 और 2020 में ऐसे 7 मामले सामने आए थे.

2020 में आपरेशन्स
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन राज्यों में अलग-अलग समय पर चलाए गए एन्टी मिलिटेन्ट आपरेशन्स में 21 विद्रोहियों को मार गिराए जाने में सफलता मिली. इस दौरान 646 विद्रोहियों को गिरफ्तार भी किया गया. पूर्वोत्तर के राज्यों के अलग-अलग इलाकों से साल 2020 में 305 हथियार भी बरामद किए गए. पूर्वोत्तर राज्यों के विद्रोही समूहों के कम से कम 2644 सदस्यों ने 2020 में आत्मसमर्पण कर दिया और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए.

राज्यों के हालात में सुधार
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 की तुलना में 2020 में अरुणाचल प्रदेश में उग्रवाद संबंधी हिंसा में 42 फीसदी, असम में 12 फीसदी, मणिपुर में 23 फीसदी और नागालैंड में 45 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है.